Ad

लम्पी स्किन रोग

अन्य राज्यों से होता हुआ अब झारखंड में भी पहुंचा लम्पी रोग, राज्य सरकार हुई अलर्ट

अन्य राज्यों से होता हुआ अब झारखंड में भी पहुंचा लम्पी रोग, राज्य सरकार हुई अलर्ट

देश में कहर बरपा रहा ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD – Lumpy Skin Disease) रोग, अब कई राज्यों से होता हुआ झारखंड में भी पहुंच गया है। 

ये संक्रमण राज्य के कई जिलों में पैर पसार रहा है, जिसने सरकारी अधिकारियों की रातों की नींद खराब कर दी है। इस लंपी रोग से मवेशी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। 

गर इसे नहीं रोका तो यह रोग राज्य में तेजी से फ़ैल सकता है और ज्यादा से ज्यादा मवेशियों को अपनी चपेट में ले सकता है, हालांकि अभी तक राज्य में आधिकारिक तौर पर किसी भी मवेशी के मरने की पुष्टि नहीं हुई है। 

लेकिन इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में मवेशी बीमार बताये जा रहे हैं। लम्पी स्किन डिजीज एक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से अन्य पशुओं के ऊपर फ़ैल जाता है। 

इसके अलावा यह रोग एक ही बर्तन में पानी पीने से तथा मच्छरों, मक्खियों, जूँ और ततैया के माध्यम से भी एक मवेशी से दूसरे मवेशी तक फैलता है। यह पशुओं के लिए बेहद घातक होता है। संक्रमण ज्यादा फैलने से पशुओं की मौत भी हो सकती है।

ये भी पढ़ें: लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) 

प्रारंभिक तौर पर इस रोग से संक्रमित मवेशी रांची और देवघर में पाए गए हैं, जिनके मामलों को देखते ही सरकार चिंतित हो गई है। 

इसलिए सरकार ने इस बीमारी को और अधिक फैलने से रोकने के लिए राज्य के 24 जिलों में तत्काल एडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि किसी भी पशु में लम्पी रोग के लक्षण दिखने पर उसके नमूने तत्काल जांच के लिए भेजें।

इस साल इस रोग के मामले देश भर में बेहद तेजी के साथ बढ़ रहे हैं जिसको देखकर राज्य सरकार चिंतित है। झारखंड में एक साल पहले भी इस रोग के मामले आये थे, तब सरकार ने बहुत जल्दी ही इस रोग पर काबू पा लिया था। 

लेकिन इस साल परिस्थियां अलग हैं, सरकार को इन परिस्थियों के साथ रोग पर काबू पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। 

सरकार ने किसानों को सलाह दी है कि जिन पशुओं में लम्पी रोग के लक्षण दिखें, उन्हें अन्य पशुओं से तुरंत अलग करके आइसोलेट कर दें। 

अभी तक यह स्किन लम्पी रोग देश भर में कहर बरपा रहा है, इस रोग के कारण गायों की त्वचा में गाठें पड़ जाती हैं। मवेशी को तेज बुखार रहता है तथा दुग्ध उत्पादन में भी कमी आती है। 

अभी तक भारत में 3 लाख से ज्यादा मवेशी इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं जबकि लगभग 57 हजार मवेशियों की इस रोग की वजह से मौत हो चुकी है।

ये भी पढ़ें: दिल्ली सरकार ने की लम्पी वायरस से निपटने की तैयारी, वैक्सीन खरीदने का आर्डर देगी सरकार 

हर राज्य की राज्य सरकार इस रोग से निपटने का भरपूर प्रयास कर रही है। इसके तहत मवेशियों को वैक्सीन लगवाई जा रही है। लम्पी रोग की वजह से दुग्ध उत्पादन में भी भारी कमी आई है। 

इसको लेकर आम लोग भी भयभीत हैं, कई राज्यों में लोगों ने इस रोग के डर से दूध पीना बंद कर दिया है। इन घटनाक्रमों को देखते हुए सरकार बेहद चिंतित है और जल्द से जल्द इस रोग से निपटने के उपायों पर विचार कर रही है।

आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केन्द्र बिचपुरी आगरा को भारत मौसम विज्ञान विभाग नई दिल्ली से प्राप्त मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आगामी पांच दिनों में बादल न रहने व वर्षा नहीं होने का अनुमान है। हवा लगभग 4.2 से 10.7 किमी प्रतिघंटा की औसत गति से मुख्यतः पूरव - उत्तर से पश्चिम - उत्तर से बहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 26.9 से 30.2 व न्यूनतम तापमान 11.7 से 14.7 डिग्री सेल्सियस के लगभग रहने की संभावना है। आपेक्षिक आर्द्रता सुबह 33 से 46 व शाम को 18 से 24 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।


ये भी पढ़ें:
बरसात की वजह से खराब हुई धान की तैयार फसल, किसानों ने मांगा मुआवजा
किसानों को सलाह है, कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐं। क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है, कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें। इससे मृदा की उर्वरकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हैक्टेयर किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है, कि वह स्थानीय कृषि रसायन विक्रेताओं की सलाह पर कृषि कार्य ना करें कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर ही कृषि कार्य करें।

फसल सम्बंधित महत्वपूर्ण सलाहें

गेंहू की बुवाई हेतू खाली खेतों को तैयार करें तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। उन्नत प्रजातियाँ-सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3226), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. 2851)। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर होनी चाहिये।


ये भी पढ़ें:
गेहूँ की फसल की बात किसान के साथ
बरसीम की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें। बुवाई का समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक उचित रहता है, प्रजातियां- वरदान, मेस्कावी, J.H.B-146, J.H.T.B-146. बीज दर: प्रति हैक्टेयर 25-30 किग्रा० बीज बोते है। पहली कटाई मे चारा की उपज अधिक लेने के लिए 1 किग्रा० /हे० चारे वाली टा -9 सरसों का बीज बरसीन में मिलाकर बोना चाहियें। उर्वरक: 20 किग्रा० नत्रजन एंव 80 किग्रा० फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़क कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।

बागवानी (अमरुद) सम्बंधित सलाह

अमरूद में शीत ऋतु के फल बन चुके हैं। आवश्यकता आधारित सिंचाई के माध्यम से मिट्टी में उचित नमी बनाए रखें। कलम के नीचे से निकल रहे कल्लों को तोड़ते रहें। वृक्ष के थाले को खरपतवार मुक्त रखें। यदि ड्रिप प्रणाली से उर्वरकोंका कों प्रयोग किया जा रहा है, तो पानी में घुलनशील उर्वरकों को 7 दिनों के अंतराल पर प्रयोग करें। इस स्तर पर, फलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पोटेशियम का प्रयोग महत्वपूर्ण है।

ये भी पढ़ें:
बागवानी लगाने के लिए बिहार सरकार किसानों को दे रही है 25000 रुपया

पशु सम्बंधित सलाह

किसान भाइयो लम्पी स्किन रोग की रोकथाम के लिए जनपद में "गोट पॉक्स वैक्सीन" उपलब्ध है। स्वस्थ पशु का वैक्सीनेसन कराएं। रोग से प्रभावित पशु को देखते ही नजदीकी पशुचिकित्सक को सूचना दें। लंपी स्किन रोग का घरेलू उपचार-1 kg नीम की पत्तियों को 4 लीटर पानी मे हल्की आग पर उबालें और जब पानी आधा रह जाये तब उसे ठंडा करके छान लें, और रोग से प्रभावित पशु के शरीर को शूती कपड़े से पोछदें। यह प्रक्रिया पशु के ठीक होने तक करते रहें।